Mysuru Palace इस साल फिर से भव्यता और संस्कृति का केंद्र बन गया है, जहां शारन्नववती उत्सव की धूमधाम से शुरुआत हुई। यह उत्सव न केवल धार्मिक है, बल्कि यह कर्नाटका की ऐतिहासिक विरासत को भी जीवंत करता है। 3 अक्टूबर 2024 को यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वोडेयार ने अपने सांसद पद के पहले निजी दरबार का आयोजन किया, जो इस अवसर की गरिमा को और बढ़ाता है।
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दरबार की तैयारी
Mysuru Palace में उत्सव की तैयारी जोरों पर थी। पारंपरिक रीतियों के अनुसार, इस समारोह में सुवर्ण सिंहासन और चांदी का भद्रासन स्थापित किया गया। इस दिन की शुरुआत प्रातः कालीन धार्मिक अनुष्ठानों से हुई, जिसमें नवग्रह होम और गणपति होम शामिल थे। ये अनुष्ठान इस शुभ अवसर की शुरुआत को दर्शाते हैं और दर्शकों में उत्साह का संचार करते हैं(
यदुवीर का दरबार में आगमन इस बात का प्रतीक था कि वह वोडेयार वंश की परंपराओं का पालन करते हुए अपनी भूमिका को निभा रहे हैं। उनकी उपस्थिति ने इस समारोह को एक शाही एहसास दिया, जिसमें लोग उनकी एक झलक पाने के लिए उत्सुक थे।
यदुवीर का स्वागत
जब यदुवीर ने Mysuru Palace में प्रवेश किया, तो पारंपरिक मंत्रों से उनका स्वागत किया गया। उनके स्वागत में उपस्थित लोग ताली बजा रहे थे और आभार प्रकट कर रहे थे। यदुवीर ने सिंहासन के चारों ओर तीन बार परिक्रमा की, जो एक प्राचीन राजकीय परंपरा का हिस्सा है। यह परंपरा उनकी दैवीय शक्तियों की ओर संकेत करती है और इस बात को प्रमाणित करती है कि वह अपने वंश की धरोहर को सहेजने के लिए प्रतिबद्ध हैं(
समारोह की विशेषताएं
इस साल के उत्सव की एक विशेषता यह थी कि यह पूरी तरह से निजी था। दरबार का आयोजन केवल शाही परिवार और कुछ विशेष आमंत्रित मेहमानों के लिए ही सीमित था, जिससे इसकी अनन्यता और बढ़ गई। Mysuru Palace में इस तरह की भव्यता और धार्मिकता के बीच एक अद्भुत तालमेल देखने को मिला, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया(
यदुवीर की पत्नी, त्रिशिखा कुमारी ने भी समारोह में भाग लिया। उन्होंने अपने पति को चरण स्पर्श कर सम्मानित किया, जो उनकी पारिवारिक परंपरा और उनकी सांस्कृतिक जड़ों को दर्शाता है। इस अवसर पर, महल के पुरोहितों ने पूजा अर्चना की और प्राचीन रिवाजों का पालन किया, जो इस कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाता है।
Mysuru Palace का ऐतिहासिक महत्व
Mysuru Palace न केवल एक भव्य महल है, बल्कि यह कर्नाटका की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। यह महल वोडेयार राजवंश के शासनकाल का एक अद्भुत उदाहरण है, जो भारतीय शिल्पकला और वास्तुकला का एक अद्वितीय नमूना प्रस्तुत करता है। महल के हर कोने में इतिहास की गूंज सुनाई देती है, और यह आज भी राजशाही की धरोहर को संजोए हुए है।
शारन्नववती उत्सव जैसे अवसरों पर, Mysuru Palace की महत्ता और भी बढ़ जाती है। यह महल न केवल राजकीय आयोजनों का स्थल है, बल्कि यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस महल में आयोजित होने वाले हर समारोह में एक विशेष प्रकार की भव्यता होती है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
आगे की योजनाएँ
इस वर्ष का शारन्नववती उत्सव 12 अक्टूबर को भव्य विजयादशमी समारोह के साथ समाप्त होगा। इस दौरान विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे, जो Mysuru Palace की भव्यता को और बढ़ाएंगे। विभिन्न प्रतियोगिताएं, पारंपरिक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियाँ इस उत्सव की शोभा को बढ़ाने का कार्य करेंगी।
निष्कर्ष
शारन्नववती उत्सव, Mysuru Palace में यदुवीर के पहले निजी दरबार के साथ, कर्नाटका की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को दर्शाता है। यह आयोजन न केवल वोडेयार वंश की परंपराओं का सम्मान करता है, बल्कि नई पीढ़ी को उनकी जड़ों से जोड़ने का भी कार्य करता है। यदुवीर का यह दरबार उनके कर्तव्यों के प्रति समर्पण और कर्नाटका की समृद्ध संस्कृति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है।
Mysuru Palace एक बार फिर से अपने ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत को उजागर करता है, और यह आयोजन यह दर्शाता है कि कैसे परंपराएं आज भी हमारे समाज में जीवित हैं।
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